

स्वामी दयानंद सरस्वती जी एक महान भारतीय संत, धार्मिक विचारक, और समाज सुधारक थे। उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:
स्वामी दयानंद सरस्वती जी का जन्म 12 फरवरी 1824 को बिहार के तंकारा गांव में हुआ था| उन्होंने नाममात्रण का विरोध किया और वेदों को अपने जीवन के मार्गदर्शक माना| स्वामी दयानंद ने “सत्यार्थ प्रकाश” नामक महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी, जिसमें वे वेदों के महत्व को प्रमोट करते हैं|
उन्होंने 1875 में आर्य समाज की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य वेदों के महत्व को पुनर्स्थापित करना और धार्मिक सुधार करना था| स्वामी दयानंद सरस्वती ने जाति व्यवस्था, सती प्रथा, और अंधविश्वास के खिलाफ अपनी आंदोलनों में समर्थन दिया| स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने शिक्षा के महत्व को प्रमोट किया और लड़कों और लड़कियों के लिए उचित शिक्षा की मांग की|
स्वामी दयानंद सरस्वती ने धर्मनिरपेक्ष भारत की आवश्यकता को प्रमोट किया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल्यों की प्रशंसा की| उनकी आत्मा 30 अक्टूबर 1883 को अजमेर, राजस्थान में उनके धार्मिक कार्य के दौरान हुई|
स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने जीवन में वेदों के महत्व को प्रमोट किया, सामाजिक सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, और भारतीय समाज को एक नये दिशा में मोड़ने में मदद की। उनके विचार और उनका योगदान आज भी भारतीय समाज में महत्वपूर्ण हैं|
तो आइए दोस्तों कुछ ऎसे ही अनमोल विचारों को पढ़ते हैं जो स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने बताई हैं| जो आपके जीवन में कहीं ना कहीं अवश्य काम आएगी|
स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के अनमोल विचार| Best 11 Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar in Hindi.
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-1
दुनिया को अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए और आपके पास सर्वश्रेष्ठ लौटकर आएगा|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-2
इंसान को दिया गया सबसे बड़ा संगीत यंत्र आवाज हैं|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-3
आत्मा अपने स्वरुप में एक हैं, लेकिन उसके अस्तित्व अनेक हैं|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-4
इंसान की आत्मा परमात्मा का ही अंश होता हैं जिसे हम अपने कर्म से गति प्रदान करते हैं और फिर आत्मा हमारी दशा को तय करती हैं|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-5
वर्तमान जीवन का कार्य अंधविश्वास पर पूर्ण भरोसे से अधिक महत्वपूर्ण हैं|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-6
कोई मूल्य तब मूल्यवान हैं जब मूल्य का मूल्य स्वयं के लिए मूल्यवान हो|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-7
अज्ञानी होना गलत नहीं हैं, अज्ञानी बने रहना गलत हैं|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-8
अगर मनुष्य का मन ‘शांत’ हैं, चित्त ‘प्रसन्न’ हैं, ह्रदय ‘हर्षित’ हैं तो निश्चय ही ये अच्छों कर्मों का फल हैं|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-9
मोह जाल की तरह होता हैं, इसमे जो फस गया वह पूरी तरह से उलझ जाता हैं|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-10
लोभ कभी समाप्त न होने वाला रोग हैं|
Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar-11
जो लोग दूसरे की मदद करते हैं, वह लोग एक तरह से भगवान की मदद करते हैं|
दोस्तों, ‘आपको हमारा यह आर्टिकल स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के अनमोल विचार| Best 11 Swami Dayanand Saraswati Anmol Vichar in Hindi. कैसा लगा आप हमें कमेंट करके बताए और हमारे इस आर्टिकल को शेयर और लाइक करना ना भूले|
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Sanjana Singh
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