नवरात्रि पर की जाने नौ देवियो की पूजा की जाती हैं
जैसा की आप सभी जानते हैं नवरात्रि पर क्यों मनाई जाती है आज हम बात कर नवरात्रि पर किन नौ देवियो की पूजा की जाती हैं-नवरात्रि में जो नौ देवी का पूजन होता हैं वह हमारी तीन देवियो के रूप हैं, जिनमे महालक्ष्मी, सरस्वती,और पार्वती के स्वरूपों की पूजा की जाती हैं| और अंत में सरस्वती जी के तीन -तीन रूपों की पूजा की जाती हैं |
शैलपुत्री माता –
यह देवी हिमालय और मैना की पुत्री हैं ,इन्होने कठिन तप करके भगवान शिव की वामिनी होने (ऐसी स्त्री जिसके मन में कामवासना हैं) का वरदान ब्रम्हा जी से माँगा था | ऐसा माना जाता हैं कि जिस व्यक्ति को आध्यात्म्क और शांति की इच्छा होती हैं , वह इस देवी की पूजा से प्राप्त हो सकता हैं | इनकी पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती हैं ,और इनकी कृपा से परमानंद की प्राप्ति होती हैं , और सबको आरोग्य जीवन मिलता हैं | सभी अपने में सुख व ख़ुशी प्राप्त करते हैं|
ब्रम्ह्चारिणी माता –
ब्रम्ह का अर्थ हैं- तप और चारिणी का अर्थ हैं अच्छा आचरण करने वाली | इस प्रकार ब्रम्ह्चारिणी का अर्थ हुआ -तप का सुखद आचरण करने वाली | हज़ारों वर्ष कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम कमजोर हो गया | देवता , ऋषि , मुनि सभी ने ब्रम्ह्चारिणी की तपस्या को पुण्य कृत्य बताया | यह भी बताया कि ब्रम्ह्चारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्ध प्राप्त होती हैं , दुर्गा पूजा के दूसरे दिन ब्रम्हचारिणी देवी की पूजा की जाती हैं |
इस देवी की कथा का सरयह हैं -की जीवन के कठिन संघर्षो में दुःख में सुख में मन विचलित नहीं होना चाहिए |
चन्द्रघंटा माता –
चन्द्रघंटा माँ की कृपा से दैवीय शक्तियों के दर्शन होते हैं ,आलौकिक सुंगधियों का एहसास होता हैं तथा अलग -अलग दिव्या ध्वनियां सुनने को मिलती हैं | माँ दुर्गा के तीसरे रूप का नाम चन्द्रघंटा हैं और तीसरे दिन की पूजा अत्यधिक महत्व हैं| देवी माँ का यह स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी हैं | माँ की कृपा से भक्त के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं | और वह अपना जीवन सुख के साथ व्यतीत करते हैं |
कूष्माण्डा माता –
नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्माण्डा की पूजा की जाती हैं वैसे तो माँ के सारे रूप बड़े ही मनमोहक व सरस हैं, परन्तु उनका यह रूप अत्यंत मनोहर लगता हैं कहते हैं कि, जब सृष्टि में कुछ नहीं था और चारो तरफ अंधकार था , तब देवी कूष्माण्डा ने ही इस पू रे ब्रह्माण्ड की रचना की थी | यही नहीं यह मोक्ष प्रदान करने वाली माता भी हैं |
स्कन्द माता –
नवरात्रि के पांचवे दिन स्कन्द माता पूजा की जाती हैं , देवो व असुरों के संग्राम में उनके सेनापति स्कन्द की माता थी | इसीलिए इन्हे सुख और शांति की देवी माना जाता हैं | इन्हे आदिशक्ति भी कहा जाता हैं |
कत्यायिनी माता-
यह देवी काम मोक्ष प्रदान करने वाली व एकाग्रता बढ़ाने वाली माँ हैं | इनकी प्रिय सवारी शेर हैं , एक समय था जब कात्य नामक ऋषि हुआ करते थे , उनकी इच्छा थी कि उनकी इच्छा थी की देवी माँ उनके घर में कन्या के रूप में जन्म ले और महिषासुर का विनाश करे | देवी भगवती ने उनकी विनती स्वीकार कर ली | ब्रम्हा , विष्णु , और महेश ने अपने अपने तेज और प्रताप को देकर देवी को उत्पन्न किया और ऋषि कात्यायन ने भगवती जी की कठिन तपस्या की इस कारण से यह देवी कात्यनी देवी के नाम से जानी जाती हैं |
कालरात्रि माता-
यह अंधकार की तरह काले रंग वाली माता हैं | यह माँ अपने भक्त पर असीम कृपा करने वाली है | और अपने भक्तो की सदैव रक्षा करती हैं | भूत -प्रेत ,बाधाओं ,रोग -बीमारी , ग्रह चक्कर सब इनके स्मरण मात्र से ही भाग जाते हैं | इनका रूप अत्यंत भयंकर हैं , सिर्फ दुष्टो के लिए हैं ,अपने भक्तो के लिए तो यह करुणा का सागर हैं | इनका वाहन गधा हैं | जो सभी जीवो में सबसे ज्यादा परिश्रमी हैं और युगो से माँ को लेकर इस धरती पर विचरण कर रहा हैं |
महागौरी माता-
देवी ने शिव जी को अपना पति बनाने के लिए बहुत ही कठोर परिश्रम किया था जिसके कारण उनका शरीर काला पड़ गया था | परन्तु देवी के कठोर तप से प्रसन्न होकर शिव जी ने इन्हे अपनी पत्नी बना लिया था , और ऐसा भी माना जाता हैं कि स्वंय शिव जी ने गंगाजल से इनके शरीर को धोया था | तब देवी चंद्र के समान अत्यंत गोरी वर्ण की हो जाती हैं उसी समय से इनका नाम गौरी पड़ा , और हम लोग इन्हे महागौरी नाम से पुकारते हैं | महागौरी रूप में देवी अत्यंत करुणामयी व स्नेहमयी हैं | और इनका वाहन वषभ हैं |
सिद्धिदात्री माता-
देवी सिद्धिदात्री के पास गरिमा , लालिमा , ईशित्व और वशित्व, प्राप्ति , प्रकाम्य , अणिमा यह सात सिद्धिया हैं | पुराणों के अनुसार सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद ही शिव जी का आधा शरीर मानव और आधा शरीर स्त्री का हुआ था | माता सिद्धिदात्री की कृपा से ही उन्हें प्राप्त हुआ था | इसीलिए भगवान शिव संसार में अर्द्धनारी के नाम से जाने जाते हैं | ऐसा माना जाता हैं कि देवी सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से लौकिक व परलौकिक शक्तियों को पाया जा सकता हैं |
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