दोस्तों हमारी आज रामायण की सबसे ज्यादा प्रेरित करने वाली कहानी यह बात सिखाती है कि छोटे से छोटा प्राणी यानि कमजोर से कमजोर, जिसको अपने अंदर लगता है कि मेरे अन्दर तो कुछ है ही नहीं|
मैं तो लायक ही नहीं हूँ| वो भी विशाल काम कर सकता है| बस मनोभावना होनी चाहिए, आपके इमोशंस सही होने चाहिए| तो आइए दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल को पढ़ते हैं और अपने आप को प्रेरित करते हैं-
रामायण की सबसे ज्यादा प्रेरित करने वाली कहानी| Best Motivational Story From Ramayan in Hindi.
दोस्तों यह कहानी रामायण की हैं| यह कहानी उस समय की है, जब प्रभु श्रीराम ने अपना लंका विजय अभियान शुरू किया था| वह लंका पर विजय पाने के लिए उस अभियान को छेड़ चुके थे|
साथ में उनके विशाल वानर सेना थी और उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी उनके संग ही थे और पूरी उम्मीद थी कि विजय प्राप्त की जाए|
लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह आ रही थी कि उस विशाल समुद्र को पार कैसे किया जाए?
लंका तक कैसे पहुँचा जाए?
उस विशाल समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरे उठकर के आ रहो थी| इतनी विशाल सेना उस समुद्र को ना तो तैर करके पार सकती थी और ना ही उड़ कर के पार कर सकती थी| प्रभु श्रीराम ने बहुत बार प्रार्थना की, विनती की कि समुन्द्र देव शांत हो जाइए|
लेकिन उधर से कोई उत्तर नहीं मिल रहा था|
प्रभु श्रीराम को क्रोध आ गया और उन्होंने अपना दिव्य अस्त्र ब्रह्मास्त्र निकाला और चलाने के तैयारी में थे कि तभी अचानक से श्रीराम जी के सामने समुद्र देव प्रकट हुए| क्षमा याचना माँगने लगे, माफी मांगने लगे कि प्रलय से पहले प्रलय नहीं लाइए प्रभु श्रीराम|
बाकी आपकी इच्छा है, आप मुझे मेरी मर्यादा बनाए रखने के लिए मुझे माफ कीजिए| अगर आप मुझे माफ नहीं करेंगे तो सब कुछ खत्म हो जाएगा| जल का जो रूप है वो खत्म हो जाएगा, ऐसा मत कीजिए|
प्रभु श्रीराम कहा फिर क्या किया जाए, इसे पार करके लंका कैसे पहुँचा जाए| तो समुद्र देव ने बताया कि आपकी सेना में नल और नील नाम के दो भाई है| जिनको बचपन में ऋषियों ने श्राप दिया था|
क्योंकि ये ऋषियों के सामान उठा-उठाकर नदी में फेंक रहे थे, तो उन्होंने श्राप दिया था कि अब जो भी तुम फेंकोंगे वो पानी में डूबेगा नहीं बल्कि तैरता रहेगा| तो आपको इन्हीं की मदद लेनी चाहिए|
जब ये दोनों पत्थर समुद्र में फेंकेंगे तो पत्थर तैरने लगेंगे| इनके मदद से सेतु का निर्माण शुरू करवाइए| ज़न ये सेतु का निर्माण होगा तो ये राम सेतु बनेगा, तो आपका बंधन, आपका गायन पूरी सृष्टि करेगी कि इतना विशाल काम यहाँ हुआ है और जब ये दोनों भाई इस सेतु का निर्माण करेंगे, तो मैं पूरी मदद करूँगा उस सेतु को बाँधे रखने में| आपका पूरा साथ दूँगा|
प्रभु श्रीराम ने कहा ठीक है फिर यहीं होगा| उन्होंने अपनी सेना से कहा कि लग जाइए काम पे| पत्थरों पर जय श्री राम लिखा गया, पत्थर तैरने लगे| श्रीराम सेतु का निर्माण होने लगा और प्रभु श्रीराम ऊपर वाले की भक्ति में भगवान शिव की अराधना में बैठ गए|
तभी उन्होंने देखा कि एक छोटी सी गिलहरी उस सेतु निर्माण में अपना योगदान दे रहीं थीं|
पता नहीं क्या कर रहीं थीं, बार-बार समुद्र के किनारे आती और फिर वापस जाती उन पत्थरों के बीच में और फिर वापस आती| उन्हें कुछ तो लगा की यह गिलहरी कुछ ना कुछ करने की कोशिश कर रहीं हैं|
श्रीराम जी ने हनुमान जी से कहा कि उस गिलहरी को पकड़ कर मेरे पास लाओ| हनुमान जी गए और उस गिलहरी को पकड़ कर के लाए| प्रभु श्रीराम ने उनसे पूछा कि आप ये क्या कर रहीं हैं?
यहाँ इतने बड़े सेतु का निर्माण हो रहा है| आप कहाँ बीच में परेशान हो रहीं हैं| उस गिलहरी ने प्रभु श्रीराम से कहा कि भगवान माफ कीजिएगा| लेकिन आज आपने धर्म के लिए युद्ध छेड़ा है|
आपने नारी सम्मान के लिए, नारी रक्षा के लिए, माता सीता की रक्षा के लिए, उनके गौरव की गरिमा के लिए, उसकी रक्षा के लिए, सम्मान के लिए जो युद्ध छेड़ा है, उसमे मैं भी अपना योगदान देना चाहती हूँ|
मैं यहाँ किनारे से कुछ मिट्टी, कुछ रेत अपने साथ ले जाती हूँ और वहाँ जाकर के पत्थरों के बीच में छोड़ देती हूँ| ताकि जब आप पत्थर पे चले तो यह पत्थर आपको ना चुभे|
मैं इतनी बड़ी तो नहीं हूँ कि पत्थर वहाँ पहुँचा दूँ| इसलिए मिट्टी पहुँचाने का काम कर रही हूँ| प्रभु श्रीराम बहुत खुश हुए, उन्होंने पूछा कि आपको डर नहीं लग रहा हैं| यहाँ इतनी विशाल सेना कहीं किसी के पैर के नीचे आप दब गई, तो आपकी मौत हो जाएगी|
गिलहरी ने कहा कि इतने बड़े युद्ध में अगर मेरी मौत भी हो जाए, आप माता सीता की गरिमा की रक्षा के लिए, उनके गौरव की रक्षा के लिए इतना विशाल युद्ध छेड़ चुके हैं, धर्म की रक्षा के लिए, अगर इसमे मेरी जान भी चली जाए तो कोई बात नहीं| मेरे लिए यह सम्मान की बात होगी, गौरव की बात होगी|
उस नन्ही गिलहरी ने इतनी बड़ी-बड़ी बातें की तो प्रभु श्रीराम गद-गद हो गए और उन्होंने उस गिलहरी की पीठ पर अपनी उँगलियों को फेर दिया|
कहा जाता है कि गिलहरी की पीठ पर वो जो निशान होते है, वो प्रभु श्रीराम की उँगलियों के निशान है|
दोस्तों यह खत्म हो गई लेकिन यह बहुत बड़ी बात सिखाती है कि छोटे से छोटा प्राणी यानि कमजोर से कमजोर, जिसको अपने अंदर लगता है कि मेरे अन्दर तो कुछ है ही नहीं| मैं तो लायक ही नहीं हूँ|
वो भी विशाल काम कर सकता है| बस मनोभावना होनी चाहिए, आपके इमोशंस सही होने चाहिए|
अगर आपको लगता है कि यह काम आपके लायक नहीं है तो आप अपनी ताकत का अंदाजा लगाईयें| आप सब कुछ कर सकते हैं, आप चामत्कार कर सकते हैं| छोटे से छोटा व्यक्ति भी बड़े से बड़ा काम आसानी से कर सकता है|
बस सही इमोशंस की, सही मेहनत की जरूरत है और दूसरी बात जितना हो सके उतना इस दुनिया के काम आते रहिए, औरों के काम आते रहिए, उनके चहरे पर मुस्कान लाने का काम करते रहिए|
दोस्तों, ‘आपको हमारा यह आर्टिकल रामायण की सबसे ज्यादा प्रेरित करने वाली कहानी| Best Motivational Story From Ramayan in Hindi. कैसा लगा? आप हमें कमेंट करके बताए और हमारे इस आर्टिकल को शेयर और लाइक करना ना भूले|
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Sanjana Singh
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