तीन कृषि कानून को केंद्र सरकार ने संसद भवन से पास करा लिया हैं| रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस पर अपने हस्ताक्षर किए और इस कानून को बनने में सहमति जताई| इस कानून के खिलाफ पंजाब राज्य में सबसे ज्यादा विरोध ही रहा हैं| पंजाब में इस कानून के खिलाफ रेल रोको आंदोलन चल रहा है| पंजाब के अलावा कई अन्य राज्यों में जैसे हरियाणा में भी किसान इसका विरोध कर रहे हैं| दोस्तों हमारा आज का आर्टिकल “तीन कृषि कानून क्या है?” पर हैं| तो आइए दोस्तों तीन कृषि कानून के बारे में जानते हैं-
पहला कृषि कानून-
इसमें सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है|
किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे| लेकिन, सरकार ने इस कानून के जरिये एपीएमसी मंडियों को एक सीमा में बांध दिया है|
इसके जरिये बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई है| बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी कानून के दायरे में आए हुए वे किसानों की उपज खरीद-बेच सकते हैं|
दूसरा कृषि कानून-
इसमें सरकार ने कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रोविजन किया गया है| इसके जरिए कृषि बिजनेस फर्मों, कृषि पैदावारों की बिक्री, बड़े खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, फार्म सर्विसेज, प्रोसेसर्स और एक्सपोर्टर्स के साथ किसानों को जुड़ने के लिए मजबूत करता है| कांट्रेक्टेड किसानों को तकनीकी मदद और फसल की निगरानी, क्वॉलिटी वाले बीज की सप्लाई करना, कर्ज की सहूलत और फसल बीमा की सहूलत मुहैया कराई गई है|
तीसरा कृषि कानून-
इस कानून में खाने वाला तेल, अनाज, दाल, तिलहन, आलू-प्याज को जरूरी चीजो की सूची से हटाने का प्रोविजन है| माना जा रहा है कि इसके प्रोविजन से कृषियों को सही कीमत मिल सकेगी क्योंकि बाजार में मुकाबला बढ़ेगा|
किसान को किस बात का डर है और वह क्यों इसका विरोध कर रहे हैं-
इसको लेकर किसान और अपोजीशन पार्टियों का कहना है कि वह मंडी व्यवस्था खत्म कर किसानों को एमएसपी से खत्म करना चाहती है| यानी किसानों को डर है कि उन्हें उनकी फसलों पर मिलने वाला एमएसपी खत्म किया जा रहा है| हालांकि केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि किसानों का एमएसपी पूरी तरह से महफूज है|
दोस्तों, ‘आपको हमारा यह आर्टिकल तीन कृषि कानून क्या है और किसन इसका विरोध क्यों कर रहे हैं- कैसा लगा? आप हमें कमेंट करके बताए और हमारे इस आर्टिकल को शेयर और लाइक करना ना भूले|
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Sanjana Singh