खर्च के लिए जीवन” अर्थात् यह कि हम अपने जीवन को सिर्फ और सिर्फ पैसे और सामग्री के लिए बर्बाद कर रहे हैं| जिससे हम अकेले एक भौतिकीक उपजाऊ जीवन जी रहे हैं, जिसमें आनंद और संतोष की कमी हो सकती है|
“जीवन के लिए खर्च” का अर्थ है कि हम पैसों और सामग्री के साथ हमारे जीवन का आनंद बढ़ाने के लिए खर्च कर रहे हैं| हम अपने पैसों का उपयोग अपने परिवार, मित्र, अनुभवों और सुख-संतोष के लिए कर रहे हैं| यह अधिक आत्म-संतोष और सामाजिक आगामी को अनुभव करने की दिशा में हमारे जीवन को अधिक सार्थक बना सकता है|
जीवन के लिए खर्च या खर्च के लिए जीवन| Best Cost for life motivational Story in hindi.
पत्नी ने कहा -आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…..
पति ने कहा क्यों?
पत्नी के कहा- अपनी कामवाली बाई 2 दिन नहीं आएगी….
पति ने कहा क्यों?
पत्नी ने कहा- गणपति के लिए अपने नाती के यहां अपनी बेटी से मिलने जा रही है|
पति ने कहा- ठीक है…ज्यादा कपड़े नहीं निकालता हूं|
फिर पत्नी ने कहा- अरे.. हाँ गणपति के लिए ₹500 उसे दे दूँ…त्योहार के बोनस के तौर पे|
पति ने कहा- क्यों? अभी दिवाली तो आ ही रही है तब दे देंगे|
पत्नी ने कहा- अरे नहीं बाबा….गरीब है बेचारी बेटी-नाती के यहां जा रही है| उसे भी अच्छा लगेगा और इस महंगाई के दौर में अपनी पगार से त्योहार कैसे मनाएगी बेचारी?
पति ने कहा- तुम भी ना जरूरत से ज्यादा भावुक हो जाती हो|
पत्नी ने कहा- अरे नहीं….चिंता मत करो|
मैं आज का पिज़्ज़ा खाने का कार्यक्रम रद्द कर दूंगी|
खामख्वाब 500 रुपए उड़ जायेंगे, बासी पाव के उन 8 टुकड़े के पीछे…
पति ने कहा- वाह वाह….क्या कहने हमारी थाली से पिज़्ज़ा छीन कर बाई की थाली में|
3 दिन बाद पोछा लगाते हुए कामवाली बाई से पति ने पूछा- क्या बाई…कैसी रही छुट्टी??
बाई ने कहा- बहुत बढ़िया रही साहब दीदी ने जो ₹500 दिए थे ना त्योहार का बोनस……
पति ने कहा- तो,जा आई बेटी के यहां मिल आई अपने नाती से?
बाई ने कहा- हां साहब…मिल आई दो दिन में पूरे 500 रुपए खर्च कर दिए|
पति ने कहा- अच्छा!!!
क्या-क्या लिया तुमने ₹500 में, मतलब क्या किया 500 रुपए का|
बाई ने कहा-
नाती के लिए ₹150 का शर्ट, ₹40 की गुड़िया….
बेटी के लिए ₹50 के पेढ़े, ₹50 के पेढ़े मंदिर में चढ़ाने के लिए प्रसाद और ₹40 किराये मे लग गए|
₹50 का बेटी के लिए चूड़ी और ₹80 का दमाद के लिए अच्छा सा बेल्ट लिया|
बाकी के बचे हुए ₹65 नाती को पेंसिल, कॉपी खरीदने के लिए दे दिए|
झाड़ू पोछा करते हुए बाई के जबान पर पूरा हिसाब था|
पति ने कहा- ₹500 में इतना कुछ वह मन ही मन में विचार करने लगा|
उसकी आंखों के सामने 8 टुकड़े का बड़ा सा पिज़्ज़ा घूमने लगा, एक -एक टुकडा उसके दिमाग पर हथोड़ा मारने लगा|
अपनी एक पिज़्ज़ा की खर्च की तुलना वह कामवाली की त्योहारी से करने लगा|
पहला टुकड़ा- बच्चे की ड्रेस से. ..
दूसरा टुकड़ा- बेटी के लिए पेढ़े से…
तीसरा टुकड़ा- मंदिर के चढ़ावे के पेढ़े से…
चौथा टुकड़ा- बेटी की चूड़ी से..
पांचवा टुकड़ा- किराये से..
छठवां टुकड़ा- चूड़ियों से….
सांतवा टुकड़ा- दामाद के लिए बेल्ट से….
आँठवा टुकड़ा- नाती के पेंसिल, कॉपी के लिए….
आज तक उसने पिज़्ज़ा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलट कर नहीं देखा की पिज़्ज़ा पीछे से कैसे दिखता है?
लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज़्ज़ा की दूसरी बाजू भी दिखा दी थी|
पिज़्ज़ा के आठ टुकड़े उसे जीवन अर्थ समझा गए थे|
जीवन के लिए खर्च या खर्च करने के लिए जीवन का नया अर्थ एक झटके में उसे समझ में आ गया|
दोस्तों,हमारे जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं| लेकिन हमें अगर ईश्वर ने आपको ये इंसान रूपी शरीर दिया हैं तो उसको व्यर्थ कामों में बर्बाद ना करें|
इस जीवन का सही इस्तेमाल करें और हर किसी की मदद अवश्य करें|
दोस्तों, ‘ आपको हमारा यह आर्टिकल जीवन के लिए खर्च या खर्च के लिए जीवन| Best Cost for life motivational Story in hindi. कैसा लगा? आप हमें कमेंट करके बताए और हमारे इस आर्टिकल को शेयर और लाइक करना ना भूले|
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Sanjana Singh
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