बेटी पराई तब होती है” एक ऐसा कहावत है जो सामाजिक मान्यताओं और विचारधाराओं के साथ जुड़ा है| इसका मतलब है कि जब बेटी शादी के बाद अपने पति के घर में जाती है, तो वह वहाँ पराई (अजनबी) हो जाती है और उसकी पहचान उसके माता-पिता के घर से जुड़ जाती है| इस कहावत को उस समाजिक परंपरा और सोच का प्रतीक माना जाता है जो कई समाजों में मौजूद है| जिसमें बेटियों को उनके ससुराल में अपनी पूरी पहचान और स्वाधीनता नहीं मिलती है|
यह कहावत महिलाओं के सामाजिक स्थिति और उनके अधिकारों के संबंध में चुनौतियों को दर्शाने का भी प्रतीक हो सकता है और इसका उद्देश्य महिलाओं को समाज में उनके स्वाधीनता और समानता के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित करना हो सकता है|
जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है|
बेटी पराई तब होती हैं जब | Best Mother Daughter Love Story in Hindi.
जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है|
जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है|
जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है|
जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है|
जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है,
और लौटते समय ‘अब कब आएगी’ के जवाब में ‘देखो कब आना होता है’ यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है|
बेटी से माँ का सफ़र (बहुत खूबसूरत पंक्तिया , सभी महिलाओ को समर्पित)
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Sanjana Singh
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