आजादी के लिए संघर्ष करने वाले मुख्य महापुरुषों में से एक पंडित जवाहरलाल नेहरू जी थे | जिन्हे हम पंडित जवाहरलाल नेहरू या चाचा के नाम से पुकारते हैं|
जिन्होंने अपने भाषण से सभी लोगों का दिल जीत लिया था | इसीलिए वे आजाद भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री बने , और आज भी पूरा देश इन्हे सलामी देता हैं और तहे दिल से इनको याद करता हैं|
जवाहरलाल नेहरू की जीवनी| Best Jawaharlal Nehru Biography in Hindi.
जवाहरलाल नहरु जी की जीवनी-
जवाहरलाल नेहरू जी का पूरा नाम ‘ पंडित जवाहरलाल मोतीलाल नेहरू” हैं , इनका जन्म 14 नवंबर 1889 में इलाहबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था|
इनके पिता का नाम “मोतीलाल नेहरू” है , जो एक धनी बैरिस्टर कश्मीरी पंडित समुदाय से थे| इनकी माता का नाम” स्वरूपरानी नेहरू” हैं , जो लाहौर में बसे सुपरिचित ब्राह्मण परिवार से थी| और ये मोतीलाल की दूसरी पत्नी थी व पहली पत्नी की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गयी थी|
मोतीलाल जी के तीन बच्चे थे , जिनमे जवाहरलाल जी सबसे बड़े थे बाकि उनकी दो छोटी बेटियां थी| जवाहरलाल जी की पत्नी का नाम “कमला नेहरू “जी हैं , जो दिल्ली में बसे कश्मीरी परिवार से थी|
जवाहरलाल नेहरू की आरंभिक शिक्षा-
पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की प्रारंभिक शिक्षा घर में ही हुई थी , जबकि 1890 में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने दुनिया के मशहूर स्कूलों और यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की हैं|
15 साल की उम्र में 1905 में नेहरू को इंग्लैंड के हैरो स्कूल में पढ़ाई करने के लिए भेज दिया गया| लॉ की पढ़ाई दो साल तक हैरो में रहने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज में लॉ से एडमिशन लिया| इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र की पढ़ाई की|
कैंब्रिज छोड़ने के बाद लंदन के इनर टेम्पल में दो साल पूरा करने के बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की| आपको बता कि सात साल में इंग्लैंड में रहकर इन्होने फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी हासिल की| 1912 में वे भारत लौटे और वकालत शुरू की|
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री-
1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मत दान हुआ तो , तो सरदार पटेल को ज्यादा वोट मिले|
इनके बाद आचार्य कृपलानी को ज्यादा वोट मिले थे| किन्तु गाँधी जी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया|
1947 के वे सबसे पहले प्रधानमंत्री बने| अंग्रेज़ो ने करीब 500 देशी रियासतों को एक साथ स्वतंत्र किया था और उस वक्त सबसे बड़ी चुनौती थी , उन्हें एक साथ झंडे के नीचे लाना| उन्होंने भारत के रास्ते में आने वाले अँधेरे को समझदारी पूर्वक से उसका सामना हो गया|
जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की हैं| उन्होंने योजना आयोग का गठन किया , विज्ञान और प्रौद्योगिकी कर विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया|
उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरू हुआ| नेहरू ने भारत की विदेश नीति के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभायी|
जवाहरलाल नेहरू ने जोसिप बरोज टिटो और अब्दुल गलाम नासिर के साथ मिलकर एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद के खात्मे के लिए गुट निरपेक्ष आंदोलन की रचना की| वह कोरियाई का अंत करने , स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते को मूर्तरूप देने जैसे अंतराष्ट्रीय परेशानियों के समाधान में मध्यस्थ की भूमिका में रहें|
पश्चिमी बर्लिन , ऑस्ट्रेलिया और लाओस के जैसे कई अन्य विस्फोटक मुद्दों के समाधान में परदे के पीछे रह कर भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा| उन्हें वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया|
लेकिन नेहरू जी पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधो में सुधार नहीं कर पाए| पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पहुँचने में कश्मीर मुद्दा चीन के साथ मित्रता में सीमा विवाद रास्ते के पत्थर साबित हुए|
नेहरू ने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया , लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया| जो नेहरू के लिए एक बहुत बड़ा झटका था और शायद उनकी मौत भी इसी कारण से हुई| 27 मई 1964 को जवाहरलाल जी को दिल का दौरा पड़ा जिसमे उनकी मृत्यु हो गयी|
महात्मा गांधी के संपर्क में जवाहरलाल नेहरू जी कैसे आएं ?
जवाहरलाल नेहरू जी 1917 में होमरूल लीग – indian home rule movement में शामिल हो गए| इसके दो साल बाद 1919 में वे राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश कर गए| तभी उनका परिचय महात्मा गांधी जी से हुआ|
आपको बता दे कि ये वो दौर था जब महात्मा गांधी ने रौलेट अधिनियम – Rawlatt Act के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था| नेहरू जी ,महात्मा जी की , शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा आंदोलन से काफी प्रभावित हुए|
वे गांधी जी को अपना आदर्श मानने लगें यहां तक की नेहरू जी ने विदेशी वस्तुओं का त्याग कर दिया और खादी को अपना लिया इसके बाद उन्होंने 1920 – 1922 के गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भी साथ दिया इस दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया|
लेखक के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू-
पंडित जवाहरलाल नेहरू जी एक अच्छे राजनेता और प्रभावशाली वक्ता ही नहीं बल्कि एक अच्छे लेखक भी थे| उनकी कलम से लिखा हुआ हर एक शब्द सामने वाले पर गहरा असर करता था|
इसके साथ ही लोग उनकी पुस्तकें पढ़ने के लिए उत्साहित रहा करते थे|
जवाहरलाल नेहरू जी की प्रकाशित पुस्तके-
- . पिता के पत्र पुत्री के नाम-1929
- . विश्व इतिहास की झलक (ग्लिंप्सेज ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री)- (दो खंडों में) 1933
- . मेरी कहानी (ऐन ऑटो बायोग्राफी) – 1936
- . राजनीति से दूर
- . इतिहास के महापुरुष
- . भारत की खोज/हिन्दुस्तान की कहानी (दि डिस्कवरी ऑफ इंडिया) – 1945
- . राष्ट्रपिता
- . जवाहरलाल नेहरू वाङ्मय (11 खंडों में)
“हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी
यह हैं कि हम चीजों
के बारे में बात ज्यादा करते है ,
और काम कम “
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Sanjana Singh
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